मुग़ल साम्राज्य
अकबर (1556-1605 AD )
अकबर का जन्म 15 अक्टूबर 1542 AD में हुमायूँ के प्रवास काल के दौरान अमरकोट में राणा वीरसाल के महल में हुआ।
अकबर की माँ का नाम हमीदाबानों था।
9 वर्ष की आयु में अकबर को गज़नी की सूबेदारी मिली।
हुमायुं ने अकबर को युवराज सरहिंद जितने के बाद (1555)घोषित किया।
अकबर का राज्याभिषेक कलानौर(Rohtak) में 1556 AD में हुआ।
अकबर के सरंक्षक (Regent)के रूप में बैरम खान को नियुक्त किया (1556-1560 AD)गया।
सिंहांसन पर बैठने के पश्चात अकबर नई बैरम को खान-ए – खाना(Khan-e-Khana) की उपाधि दी।
सिंहासन पर बैठते ही अकबर ने बैरम खान की सहायता से 5 नवंबर 1556 AD में पानीपत के द्धितीय युद्ध(Second Battle of Panipat) में हेमू “विक्रमादित्य ” को पराजित किया।
मध्यकालीन भारत में हेमू एकमात्र हिन्दू शासक(First and Last ruler of Medieval India to Conquers Delhi) हुआ जिसने दिल्ली के सिंहासन पर अधिकार किया।
हेमू सुर शासक आदिलशाह का प्रधानमंत्री(Prime Minster of Adil Shah) था।
हेमू को 24 युद्धों में से 22 युद्ध जितने का श्रेय प्राप्त था।
आदिलशाह ने हेमू को विक्रमदित्य (Hemu was adorned with the title of Vikramaditya by Adil Shah) की उपाधि प्रदान की थी।
हेमू ने तरगी बेग को पराजित कर छत्र धारण कर अपने नाम के सिक्के चलवाये।
1561 AD में बैरम खान के सरंक्षण से मुक्त होकर(ended the regency of Bairam Khan) अपने पहले सैन्य अभियान में मालवा के शासक बाजबहादुर को पराजित किया।
अकबर ने 1562 में दास प्रथा(Banned forcible conversion of war prisoners into slaves) पर प्रतिबन्ध लगा दिया।
अकबर ने 1562 में अपने को हरम दल से मुक्त किया।
1563 में गैर मुस्लिमो से तीर्थ यात्रा कर(Abolition of Pilgrimage Tax) समाप्त किया।
1564 में जजिया कर(Abolition of Jaziya) को समाप्त किया।
1575 में अकबर ने आगरा से 36 किमी. दूर फतेहपुरसिकरी नामक नगर की स्थापना की तथा गुजरात पर विजय प्राप्त करने के पश्चात फतेहपुरसीकरी में प्रवेश के लिए बुलंद दरवाजा(Buland Darwaja) बनवाया।
1575 में ही अकबर ने फतेहपुरसिकरी में परीचर्चाओं के लिए इबादतखाने (Ibadatkhana) की स्थापना की।
1575 में अकबर ने मनसबदारी व्यवस्था(Mansabdari System) के आधार पर अपनी सेना को संगठित किया।
अकबर ने 18 जून 1576 में हल्दीघाटी का युद्ध लड़ा जिसमे अकबर के सेनापति राजा मानसिंह ने मेवाड़ के शासक महाराणा प्रताप को पराजित किया।
1580 में अकबर ने जब्ती या दहसाला व्यवस्था का प्रारम्भ किया। इसे टोडरमल ने प्रारम्भ किया इसीलिए इसे टोडरमल बंदोबस्त भी कहते हैं।
1582 में अकबर ने दीन -ए -इलाही या तौहीद -ए-इलाही धर्म की घोषणा की।
दीन -ए -इलाही का पुरोहित अबुल फजल था।
हिन्दु राजाओं में बीरबल ने दीन -ए -इलाही(Deen-e-Ilahi) को स्वीकार किया।
अकबर के दरबार में “नवरत्न”(Navratna) नाम से प्रसिद्ध व्यक्ति थे –
बीरबल,मानसिंघ, फैजी, टोडरमल, अब्दुरहीम खानखाना, अबुल फज़ल , तानसेन, भगवान दास और मुल्ला तो प्याज़ा।
बीरबल,मानसिंघ, फैजी, टोडरमल, अब्दुरहीम खानखाना, अबुल फज़ल , तानसेन, भगवान दास और मुल्ला तो प्याज़ा।
अकबर ने इलाही संवत 1583 (Ilahi Sanmvat)में जारी किया।
अकबर ने बीरबल को कविराज एवं राजा की उपाधि प्रदान की थी।
यूसुफ़जाइयो का विद्रोह दबाते वक्त बीरबल की मृत्यु हो गई।
तानसेन का जन्म ग्वालियर में हुआ था।
मियां की मल्हार, मियां की तोड़ी, मियां सारंग और दरबारी कान्हड़ा तानसेन की प्रमुख कृतियां थी।
अकबर का दरबारी राजकवि फ़ैज़ी था।
अकबर ने अपने राजधानी आगरा से फतेहपुर सिकरी 1571 में स्थानांतरित की।
अकबर के पुत्र सलीम के विद्रोह के कारण अकबर के अंतिम दिन दुःख भरे निकले।
1605 में अकबर की मृत्यु हो गई।
अकबर के मकबरे का निर्माण जहांगीर द्वारा आगरा के निकट सिकंदरा में करवाया।