सूर्य ग्रहण(Solar Eclipse) उस घटना को कहते हैं जब पृथ्वी के एक हिस्से पर चंद्रमा की छाया पड़ती है। ऐसा होने से सूरज की रोशनी पूरी या आंशिक तौर पर पृथ्वी तक नहीं आ पाती। इस दौरान सूरज, चांद और पृथ्वी एक सीध में आ जाते हैं। पूर्ण सूर्य ग्रहण में सूरज पूरी तरह से चंद्रमा के पीछे छिप जाता है वहीं आंशिक और ऐनुलर (छल्लेदार अंगूठी की तरह) ग्रहण में सूर्य का एक भाग छिपता है।
- विज्ञान के अनुसार जब सूर्य व पृथ्वी के बीच में चन्द्रमा आ जाता है तो चन्द्रमा के पीछे सूर्य का बिम्ब कुछ समय के लिए ढक जाता है, उसी घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है।
- पृथ्वी सूरज की परिक्रमा करती है और चाँद पृथ्वी की। कभी-कभी चाँद, सूरज और धरती के बीच आ जाता है। फिर वह सूरज की कुछ या सारी रोशनी रोक लेता है जिससे धरती पर साया फैल जाता है। इस घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है। यह घटना हमेशा अमावस्या को ही होती है।
सूर्य ग्रहण के प्रकार (Types of solar eclipse)
पूर्ण सूर्य ग्रहण (Total Eclipse)
- पूर्ण सूर्य ग्रहण उस समय होता है जब चन्द्रमा पृथ्वी के काफ़ी पास रहते हुए पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है और चन्द्रमा पूरी तरह से पृथ्वी को अपने छाया क्षेत्र में ले लेता है। जब चाँद सूरज को पूरी तरह ढँक लेता है। इसे पूर्ण-ग्रहण कहते हैं। पूर्ण-ग्रहण धरती के बहुत कम क्षेत्र में ही देखा जा सकता है। इसके फलस्वरूप सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक पहुँच नहीं पाता है ज़्यादा से ज़्यादा दो सौ पचास (250) किलोमीटर के सम्पर्क में। इस क्षेत्र के बाहर केवल खंड-ग्रहण दिखाई देता है।
- इस स्थिति में चाँद, सूरज के सिर्फ़ कुछ हिस्से को ही ढ़कता है। यह स्थिति खण्ड-ग्रहण कहलाती है।
- पूर्ण-सूर्य ग्रहण के दौरान चाँद को सूरज के सामने से गुजरने में दो घण्टे का समय लगता हैं। चाँद सूरज को पूरी तरह से, ज़्यादा से ज़्यादा, सात मिनट तक ढक पाता है। इस स्थिति में दिन समय आसमान में अंधेरा हो जाता है और दिन के समय में भी रात प्रतीत होती है।
आंशिक सूर्य ग्रहण(Partial Solar Eclipse)
- आंशिक सूर्यग्रहण में जब चन्द्रमा सूर्य व पृथ्वी के बीच में इस प्रकार आए कि सूर्य का कुछ ही भाग पृथ्वी से दिखाई नहीं देता है (चन्दमा, सूर्य के केवल कुछ भाग को ही अपनी छाया में ले पाता है)।
- इससे सूर्य का कुछ भाग ग्रहण ग्रास में तथा कुछ भाग ग्रहण से अप्रभावित रहता है तो पृथ्वी के उस भाग में लगा ग्रहण आंशिक सूर्य ग्रहण कहलाता है।
वलयाकार सूर्य ग्रहण (Annular Solar Eclipse or Ring of the Sky or Ring of Fire)
- वलयाकार सूर्य ग्रहण में जब चन्द्रमा पृथ्वी के काफ़ी दूर रहते हुए पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है (सूर्य का केवल मध्य भाग ही छाया क्षेत्र में आता है) और पृथ्वी से देखने पर चन्द्रमा द्वारा सूर्य पूरी तरह ढका दिखाई नहीं देता बल्कि सूर्य के बाहर का क्षेत्र प्रकाशित होने के कारण कंगन या वलय(Appears like Ring of the sky) के रूप में चमकता दिखाई देता है।हर सूर्य ग्रहण के दौरान हमें रिंग ऑफ स्काई नहीं दिखाई देती और जिन सूर्य ग्रहणों में हमें रिंग ऑफ स्काई दिखती है उन्हें ऐनुलर सोलर इक्लिप्स कहते हैं।
- ऐसे सूर्य ग्रहण के दौरान सूरज के बीच के हिस्से को चंद्रमा इस तरह से ढंकता है कि इसके बाहरी किनारे अंगूठी की तरह दिखाई देते हैं। दूर से देखने पर ऐसा लगता है कि चंद्रमा के चारों ओर आग के छल्ला (Ring of fire ) की तरह भी प्रतीत होता है। हालांकि जरूरी नहीं ऐनुलर इक्लिप्स के दौरान ये रिंग ऑफ फायर हर जगह से दिखाई दे। यही वजह है कि ऐनुलर या छल्लेदार सूर्य ग्रहण आंशिक सूर्य ग्रहण की तरह भी दिख सकता है
- कंगन आकार में बने सूर्यग्रहण को ही वलयाकार सूर्य ग्रहण कहलाता है।
Hybrid Solar Eclipse
हाइब्रिड ग्रहण भी एक प्रकार का सूर्य ग्रहण है जो केंद्रीय ग्रहण पथ के साथ पर्यवेक्षक के स्थान के आधार पर, एक कुंडलाकार सूर्य ग्रहण या कुल सूर्य ग्रहण जैसा दिखता है। एक संकर सूर्य ग्रहण के दौरान, पृथ्वी की वक्रता ग्रहण पथ के कुछ खंडों को चंद्रमा के गर्भ में लाती है, इसकी छाया का सबसे काला हिस्सा जो कुल सूर्य ग्रहण बनाता है, जबकि अन्य क्षेत्र गर्भ की पहुंच से बाहर रहते हैं, जिससे एक कुंडलाकार ग्रहण होता है।