मुग़ल वंश
बाबर (1526-1530 AD)
मुग़ल साम्राज्य की स्थापना जहीरुद्दीन बाबर (founded by Zahiruddin Babar)ने के थी।
वह मध्य एशिया में स्थित फरगना(Was emperor of Fargana) जो की काबुल में समीप है का शासक था।
बाबर के पिता की मृत्यु के पश्चात मात्र 12 वर्ष (Had coronation after the death of his father)की आयु में फरगना के सुल्तान की गद्दी पर विराजमान हुआ।
Battle of Panipat
वह पिता की तरफ से तैमूर(तुर्क)(Was Turk from paternal side) तथा माता की तरफ से चंगेज़ खान (मंगोल) (Was mongol from maternal side) का वंशज था।
बाबर के पिता का नाम शेख मिर्ज़ा (Father name was Shekh Mirza)और माता का नाम कुतलूनिगार खानम(mother was Kutlunigar) था।
1449 ई. में अपनी दादी आसान दौलत बेगम के सहयोग(became the emperor of Fargana with the help of his Grandmother Daulat Begum) से फरगना का शासक बना।
उसने पादशाह की उपाधि 1507 ई. (Adorned with the Title of Padshah)में धारण की।
उसका भारत के विरुद्ध पहला अभियान 1519 AD में युसुफजाई जाती के खिलाफ था। इस युद्ध में उसने बाजौरा और भेरा भारतीय इलाकों को अपने नाम कर लिया।
तोपखाने का प्रयोग उसने भेरा अभियान(Used Fire arm) में किया था।
भारत पर आक्रमण के लिए बाबर को राणा सांगा और लाहौर के गवर्नर दौलत खान (Rana Sanga and Daulat Invited him to attach India)ने निमंत्रण भेजा था।
पानीपत के अभियान उसका पुत्र हुमायूँ (Humayun accompanied him)भी साथ था।
पानीपत का प्रथम युद्ध 21 अप्रैल 1526 में बाबर और इब्राहिम लोधी (Fought between Babar and Ibrahim Lodi)के बीच हुआ था जिसमे की बाबर को विजय प्राप्त हुई।
बाबर ने पानीपत के युद्ध में विजय तोपखाने (Fire arm)एवं तुलगमा युद्ध निति के प्रयोग से प्राप्त की।
बाबर में दो प्रमुख निशानेबाज़(Archer) उस्ताद अली एवं मुस्तफा(Ustad Ali Mustafa) थे।
भारत में विजय प्राप्त करने के पश्चात बाबर ने काबुल के निवासियों को एक एक सोने का सिक्का भेंट (gifted gold coins to the citizens of Kabul)में दिया।
इसके पश्चात बाबर को कलंदर (Kalander) की उपाधि दी गई।
बाबर और राणा सांगा के मध्य 1527 AD में खानवा के युद्ध (Battle of Khanwa)लड़ा गया।
खानवा का युद्ध जितने के पश्चात बाबर ने गाज़ी(Got the title of Gazi) की उपाधि ली।
1528 AD में बाबर और मेदिनी राय के मध्य चंदेरी का युद्ध(Battle of Chanderi) हुआ।
1529 AD में बाबर ने घाघर (Battle of Ghaghar) के युद्ध में महमूद लोदी जो की अफगानो को संगठित करके लाया था को हराया।
बाबर ने अपनी आत्मकथा आत्मकथा ” बाबरनामा “ (Baburnama)तुर्की भाषा में लिखी थी ।
बाबरनामा का फ़ारसी में अनुवाद अब्दुलर्रहीम खानखाना(Abdul Rahim Khankhana) ने किया था।
बाबर को मुबईयाँ शैली का जन्मदाता(supposed to be the founder of Mubaiyan System) माना जाता है।
बाबर की मृत्यु 1530 AD में आगरा में हुई।
बाबर के शव को काबुल में दफनाया गया।
बाबर के चार पुत्र थे –
1) हुमायूँ 2) कामरान 3) अस्करी 4) हिन्दाल
बाबर अपने साथ कई मध्य एशियाई युद्धक युक्तियाँ(New war tricks) लाया था। इनमे एक थी तोपों एवं गाड़ियों (Use of Fire Arms) को आपस में जोड़ने की उस्मानी या रूमी पद्धति। दूसरी थी घूम कर पीछे(Attack from behind) से हमला करने की उज्वेक युक्ति, जिसे तुलगमा (Tulgma warfare system) कहा जाता था।
बाबर अपने साथ तोपें (Fire Arms) लेकर आया था जिसने मुगलों को युद्ध में बढ़त प्रदान की।
बाबर के भारत पर आक्रमण पर भारत की वही स्थिति थी जो की मुहम्मद गोरी तथा ग़ज़नवी के समय पर थी
अर्थात भारत अनेक छोटे छोटे राज्यों (India was divided into smaller states used to fight each other)में बंटा हुआ था जो की आपस में युद्ध करते रहते थे।
नोट- कुषाणों के पश्चात बाबर ही ऐसा शासक था जिसने की कांधार और भारत वर्ष को एक ही (First ruler after Kushans who brought Kandhar with India)साम्राज्य के अंतर्गत लाया और साम्राज्य को स्थायित्व प्रदान किया।