Kingdoms after Mauryas

Kingdoms After Mauryas

Kingdoms After Mauryas

Kingdoms After Mauryas

शुंग वंश (184-75BC)

अंतिम मौर्य शासक(Last Mauryan King) बृहद्रथ था जिसका वध उसके सेनापति पुष्यमित्र शुंग ने 184 BC में करके शुंग वंश की स्थापना(Founded Shunga Dynasty) की।  यह वंश एक ब्राह्मणवादी(Brahmans) वंश था।

 पुष्यमित्र शुंग ने बक्ट्रियन राजा डेमेट्रियस(Dematrius) को भी युद्ध में हराया।
पुष्यमित्र शुंग ने अपने शाशनकाल दो अश्वमेघ यज्ञ संपन्न(Ashwamedha Sacrifices) किये।
इनके पुरोहित संस्कृत व्याकरण पतंजलि(Patanjali) थे।
Kingdoms after Mauryas
पतंजलि ने पाणिनि के अष्टाध्यायी (Asthadhyayi) पर महाभाष्य (Mahabhashya) के रचना की थी।
इसी काल में भागवत धर्म (Brahmanism) का उदय हुआ तथा बासुदेव विष्णु की उपासना हुई।
शुंग वंश के अंतिम शासक  देवभूति (Devbhuti) की हत्या करके उसके सचिव वासुदेव (Vasudev) ने 75 BC में कण्व राजवंश की स्थापना की थी।

kingdoms after mauryas

यूनानी राजदूत हेलिओडोरस (Heliodorus),  पांचवें राजा भागभद्र(Bhagbhadra) के दरबार में आया

कालिदास के नाटक मालविकाग्निमित्रम (Malvikagnimitram) में भी शुंग वंश के  शासक अग्निमित्र को नायक के रूप में प्रस्तुत किया गया है।

कण्व वंश(75BC-30BC)

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इस वंश की स्थापना वासुदेव ने की थी।

इस वंश ने काफी कम समय (lesser period) तक शासन किया।

कण्व वंश को बाद में सातवाहन वंश द्धारा दक्कन की तरफ धकेला (Drifted towards Deccan)गया।

आंध्र- सातवाहन वंश

(Kingdoms After Mauryas)

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सातवाहन वंश ने मौर्यों के बाद दक्कन (Deccan) तथा मध्य भारत (Central India)में शासन किया।
सिमुक (Simuka)को इस वंश का जनक(Founder) माना जाता है।
गौतमीपुत्र शातकर्णि (Gautamiputra Satkarni)को इस वंश का महानतम शासक माना जाता है उसके शासन काल में सातवाहन वंश उंचाईयो पर पहुंचा।(106AD-130AD)
सातवाहन शासक खुदको ब्राह्मण कहते थे।
Kingdoms afther Mauryas
 इस काल में ताम्बे (Copper)और कांसे (Bronze)के आलावा सीसे (Lead Coins)के सिक्के भी प्रचलित हुए।
इस काल में वैदिक क्रियाएं (Vedic Rituals)करते थे तथा इसी काल में ये भगवान कृष्ण, वासुदेव तथा अन्य देवी देवताओं की पूजा अर्चना(Worship) भी करते थे।  हालाँकि इन्होने बोध भिक्षुओं को ज़मीन दान (Donated land to Budhist monks) कर बोध धर्म के प्रसार में भी सहायता की।
मुख्य रूप से दो धार्मिक भवनों (Two Common religious constructions) का निर्माण हुआ – चेत्य (Chetya) अर्थात बोध मंदिर तथा बिहार (Vihar)  अर्थात भिक्षुओं का निवास स्थान।
ज़िलों को अशोक के समय की तरह ही अहार (Ahar) तथा इसके अधिकारी को अमात्य (Amatya) या महामात्र कहते थे।
इस काल की आधिकारिक भाषा प्राकृत (Prakrit) तथा लिपि ब्राह्मी  (Brahmin)थी।
गाथासप्तशी जो की सातवाहन राजा हाल (Hal)की जीवनी थी इसी काल में लिखी गई।  हाल के दरबार में गुणाढ्य रहते थे जिन्होंने वृहत्कथा की रचना की थी।

तीसरी शताब्दी(This dynasty was lasted till Third Century) तक सातवाहन वंश का अंत हो गया।  आंध्र प्रदेश में इक्ष्वाकुओं ने तथा दक्षिण पूर्वी क्षेत्र में पल्ल्वों (Pallavas)ने स्वतन्त्र राज्यों (Independent States)की स्थापना की।

चेदि वंश

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इस वंश के महान शासक खारवेल (Kharvale) द्धारा प्रथम शताब्दी में बनाये गए हाथीगुम्फा अभिलेख (Hathigumpha Inscription) से चेदि वंश के सम्बन्ध में जानकारी मिलती है जो की उड़िसा के भुवनेशवर (Bhuvneshwar)के समीप स्थित है।

खारवेल ने अपने राज्य को दक्षिण में गोदावरी (Godavari)से आगे तक बढ़ाया।

ये जैन धर्म के अनुयायी(Follower) थे। 

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