सय्यद वंश(1414 -1451 AD)
खिज़ खान ने सय्यद वंश की(Khiz Khan founded this dynasty) स्थापना की थी।
खिज़ खान अपने आप को तैमूर के लड़के शाहरुख़ का (declared himself as the representative of Shahrukh) प्रतिनिधि बताता था।
उसने सुल्तान की उपाधि न धारण कर रैय्यत -ऐ- आला (Raiyat-e- Ala)की उपाधि धारण की।
वह तैमूर का सेनापति था उसे तैमूर द्वारा लाहौर का राज्यपाल(Governor of Lahore) नियुक्त किया गया था।
उसने जब दिल्ली पर हकूमत शुरू की तब उसकी स्थिति मज़बूत नहीं थी इसिलए उसने सुल्तान की उपाधि न धारण कर रैय्यत -ऐ- आला(Title of Raiyat-e- Ala) की उपाधि धारण की और अपने सिक्कों (Also minted the name of Tuglaq rulers on the coins issued by him)पर तुगलक शासको का नाम उत्कीर्ण करवाया था।
वह शिया वंश का एक मात्रा(Shiya Dynasty) शासक था जिसने सल्तनत काल में शासन किया।
उसका उत्तराधिकारी(His successor was Mubarakshah) मुबारकशाह था।
वह एक अयोग्य(incapable ruler) शासक था।
मुबारक शाह ने शाह (Title of Shah)की उपाधि धारण की और अपने नाम के सिक्के(Issued coins of his own name) भी जारी किये।
मुबारकबाद नगर की स्थापना (Founded Mabarakbaad City)मुबारक शाह ने की।
याह्या बिन अहमद सरहिंदी को मुबारक शाह ने अपने राज्य में आश्रय(gave shelter) प्रदान किया जिसने की बाद तारीख -ए मुबारक़शाही (Tarikh-e-Mubarakshahi)लिखी।
उसका उत्तराधिकारी(Successor was Muhammad Shah) मुहम्मद शाह था।
उसका असली नाम(Real name Muhammad Bin Farid Khan) मुहम्मद बिन फरीद खान था।
उसने बहलोल लोधी को खान-ए- खाना (Gave the title Khan-e-Khana to Bahlol Lodi)की उपाधि प्रदान की तथा अपना पुत्र कहकर पुकारा।
सय्यद वंश का अंतिम शासक(Last ruler)अलाउद्दीन आलमशाह था।
ये सभी शासक अयोग्य(Incapable ruler) थे तथा इन्होने बहलोल लोदी को मौका दिया जिससे लोधी वंश की स्थापना हुई।
लोदी वंश (1451-1526 AD)
दिल्ली सल्तनत पर शासन करने वाला यह प्रथम अफगान(First Afgani dynasty) वंश था।
इस वंश की स्थापना(Founded by Bahlol Lodhi) बहलोल लोदी ने की थी।
बहलोल लोदी (1451 -1489 AD)
Bahlol Lodi
बहलोल लोदी का जन्म अफगानिस्तान (Afganistan)में गिज़्लयी(Gizlayi) कबीले की एक शाखा शाहुखेल(Shahukhel) में पैदा हुआ था।
वह 1451 में दिल्ली की गद्दी पर गाज़ी(Gazi) की उपाधि प्राप्त करने पश्चात बैठा।
जौनपुर को दिल्ली (Conquered Jounpur)सल्तनत में शामिल किया।
बहलोल लोदी ने बहलोली सिक्के(Bahlol Coins were issued) चलवाये।
वह सिंहांसन में न बैठकर बाकि दरबारिओं(among the rest of members of court) के बीच में बैठता था।
सिकंदर लोदी (1489 – 1517 AD)
सिकंदर लोदी का असली नाम निज़ाम खान(Nizam Khan) था।
वह लोदी वंश का सर्वश्रेष्ठ(Best of all the Lodi dynasty rulers) शासक था।
उसने भूमि मापने के लिए गज़-ए- सिकन्दरी(Gaz-e-Sikanderi) नामक पैमाने का प्रचलन किया।
उसका एक सुदृढ़ जासूसी तंत्र(Efficient spy system) था।
Tomb of Sikander Lodi
वह फ़ारसी में गुलरुखी (Gulrukhi)के उपनाम से कवितायेँ (Poems)भी लिखता था।
उसने नगरकोट के ज्वालामुखी मंदिर के मूर्ति(Statues of Jwalamukhi Temple) को तोड़कर उनके टुकड़ो को कसाइयों को मांस तोलने के लिए दे दिया था।
मुसलमानो को ताज़िया निकालने, महिलाओं को(Restricted Ladies for going to Saint and Pir) संतो और पीरों की जाने पर प्रतिबन्ध लगाया।
उसने आयुर्वेद ग्रन्थ का फरहँगे सिकंदरी (Farhange Sikanderi) नाम से अनुवाद करवाया।
उसने क़ुतुबमीनार की मुरम्मत(Repaired Qutubminar) भी करवाई।
Coins of Sikander Lodi
इब्राहम लोदी (1517-1526 AD)
इब्राहिम लोदी दिल्ली में लोदी वंश का अंतिम शासक(Last ruler) था।
उसके दरबार के सरदारों ने दमन की निति (policy to supress)अपनाई जिससे की वह अलोकप्रिय हो गया।
उसके सल्तनत काल की व्यवस्था इस्लामिक धर्म(Islamism) पर आधारित थी।
पंजाब के सूबेदार दौलत खान लोदी(Daulat Khan Lodi) और आलम खान(Alam Khan) तथा मेवाड़ के राजा राणा सांगा (Rana Sanga of Mevad) ने इब्राहिम की सत्ता को समाप्त करने के लिए काबुल के शासक बाबर को भारत पर आक्रमण करने का निमंत्रण(Invited) दिया।
21 अप्रैल, 1526 को इब्राहिम लोदी और बाबर के मध्य पानीपत का प्रथम युद्ध हुआ जिसमे लोदी को पराजय का सामना करना पड़ा।