Maurya Dynasty मौर्य वंश (322 BC -185 BC)
चन्द्रगुप्त मौर्य ( Maurya Dynasty- 322-297 BC)
चन्द्रगुप्त मौर्य चाणक्य अथवा कौटिल्य ( Vishungupta) की सहायता से नन्द वंश के अंतिम शाषक (Dhananand)को पराजित कर मात्र 25 वर्ष की आयु में मगध साम्राज्य के सिहांसन पर बैठा और मौर्य साम्राज्य की स्थापना की।
चन्द्रगुप्त को यूनानी विद्धानों (Greek Scholars) द्धारा सांद्रोकोत्तुस (Sandrocottus)के नाम से भी पुकारा गया है।
सिकंदर के प्रमुख जनरल सेलुकस निकेटर (Seleucus Necater) सिकंदर (Alexander) की मृत्यु के पश्चात जो की एशिया के ज्यादातर भागों पर अपना प्रभुत्व स्थापित करने में कामयाब हो गया था उसको चन्द्रगुप्त ने 305 BC में हराया (Defeated) तथा बाद में इन दो राजपरिवारों के मध्य वैवाहिक सम्भन्ध(Marriage Alliance) भी स्थापित हुए और अपनी पुत्री का विवाह चन्द्रगुप्त से कर दिया ।
चन्द्रगुप्त ने विशाल साम्राज्य की स्थापना(established) की जिसमे न केवल बंगाल व् बिहार (Bengal and Bihar)के महत्वपूर्ण भाग बल्कि भारत के पश्चिमी व् उत्तरी पश्चिमी तथा दक्कन भी अपने साम्राज्य में ले लिए।
यूनानी राजदूत मेगस्थनीज़(Megasthanese) ने अपनी पुस्तक इंडिका(Indica) में इन सब बातों का विवरण दिया गया है तथा कौटिल्य की पुस्तक अर्थशास्त्र(Arthshashtra) में से भी इन सब के बारे में जानकारी मिलती है।
चन्द्रगुप्त ने जैन धर्म(Adopted Jainism) को अपना लिया तथा बाद में श्रवणबेलगोला चले गए तथा 297 BC में उपवास (Slow starvation)के द्धारा अपना देग त्याग कर दिया।
छठी शताब्दी में विशाखदत्त ने अपने नाटक मुद्राराक्षस (Mudrarakshash)और देवी चंद्रगुप्तम में चंद्रगुप्त के दुश्मनो के बारे में बताया।
चन्द्रगुप्त के शाशनकाल में ही प्रथम जैन संगती हुई(First Jain Council) जिसका नेतृत्व स्थूलभद्र ने किया।
बिन्दुसार ( Maurya Dynasty – 297-273 BC)
चन्द्रगुप्त मौर्य के बाद सिंहासन पर बिन्दुसार बैठा।
यूनानी लेखकों(Greek Writers) द्वारा बिन्दुसार को अमित्रघात (Amitraghat) के संज्ञा दी गई है।
बिन्दुसार के बारे में कहा जाता है की उसने दो समुद्रों के बीच की भूमि (Land between the two seas)जोकि अरब सागर तथा बंगाल की खाड़ी में मध्य की भूमि पर अपना अधिकार जमा लिया।
उसकी मृत्यु के समय लगभग पूरा उपमहाद्वीप (Subcontinent)साम्राज्य के अधीन आ गया।
यूनानी राजदूत डिमाचोज़ (Deimachoes) भी बिन्दुसार के दरबार में आया था।
अशोक ( Maurya Dynasty- 269 – 232 BC)
अशोक , बिन्दुसार का पुत्र था।
अशोक को तक्षिला तथा उज्जैन का राज्यपाल(Governor) नियुक्त किया गया था। तथा अपने पिता की मृत्यु के समय वह उज्जैन में था हालाँकि अशोक ने 273 BC में ही सिंहांसन पर नियुक्त हो गया तहत परन्तु उसका राज्याभिषेक चार वर्ष के गृहयुद्ध के पश्चात 269 BC को हुआ। ऐसा माना जाता है की अशोक अपने 99 भाइयों (Came to throne after killing his 99 broghers) को मोत के घाट उतरने के पश्चात ही सिंहांसन पर बैठा।
अशोक को इतिहास में सबसे महान सम्राट (Greatest King)भी माना जाता है।
राज्याभिषेक के आठवें वर्ष ही 261 BC में अशोक ने कलिंग(Kalinga) पर आक्रमण कर इसे अपने अधिकार में ले लिया जिसका उल्लेख अशोक के 13वे शिलालेख (13th Inscription) में दिया गया है।
अशोक के शिलालेखों में ब्राह्मी(Brahmi), खरोष्ठी(Kharoshthi), अरमैक (Aremic)तथा यूनानी (Greek) आदि लिपियाँ मिलती हैं। 1837 में जेम्स प्रिन्सेप(James Princep) ने सबसे पहले इन लिपियों को पड़ने में सफलता हासिल की।
अशोक के सबसे ज्यादा अभिलेख प्राकृत (Praktrit) भाषा में हैं।
अशोक के अभिलेखों में उसे सामान्यतः देवनामप्रिय(Devnampriya, प्रियदस्सी(Priyadassi), तथा बुद्धशाक्या (Budhashakya)सारनाथ के अभिलेख में धर्माशोक(Dharmashoka) कहा गया हैं।
अशोक ने साँची स्तूप (Sanchi Stupa) का निर्माण भी करवाया।
उसके साम्राज्य में तमिल प्रदेश (Tamil) के आलावा भारत (India) और अफगानिस्तान(Afghanistan) का बड़ा भाग था।
कलिंग के युद्ध में नरसंहार को देखकर अशोक विचलित हो गया तथा उसका हृदयपरिवर्तन हो गया तथा अशोक ने बोध धर्म स्वीकार कर लिया जबकि इससे पूर्व वह ब्राह्मण मतायुनाई था।
अशोक ने अपने पुत्र महेंद्र(Mahendra) तथा पुत्री संघमित्रा(Sanghmitra) को बोध धर्म के प्रचार के लिए श्रीलंका (Srilanka) भेजा।
वह ऐसा प्रथम राजा था जो की अपने अभिलेखों(Communicated through his Inscriptions) के माध्यम से प्रजा को सम्बोधित करता था।
प्रजा के नैतिक उत्थान (for the growth of moral values) के लिए जिन आचारों विचारों का प्रयोग किया उसे उसके अभिलेखों में धम्म (Dhamm) कहा गया।
कल्हण की राजतरंगनी (Rajtarangani) के अनुसार उसने श्रीनगर (Srinagar) की स्थापना की।
IMPORTANT OF MAURYA DYNASTY
भारतवर्ष के प्रमुख प्रतिक जैसे – 4 शेर (Four Lions) अशोक के सारनाथ अभिलेख (Sarnath Inscription) से लिए गए हैं।
भारत में गुरुकुल (Gurukul) तथा बोध मोनेस्टेरि का उत्थान इसी काल में हुआ।
तक्षिला (Taxila University) और बनारस विश्वविद्यालय (Banaras University)इसी काल की देन है।
कौटिल्य का अर्थशास्त्र, भद्रबाहु का कल्पसूत्र, बोध ग्रन्थ जैसे की कथा- वथु और जैन ग्रन्थ भगवती सूत्र, अछरंगसूत्र इसी काल की अनमोल रचनाएँ हैं।
बृहद्रथ मौर्य वंश का अंतिम शाशक था जिसका वध 185 BC में शुंग वंश के संस्थापक पुष्यमित्र शुंग ने किया था।
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