COMPTROLLER AND AUDITOR GENERAL OF INDIA- CAG

CAG-
COMPTROLLER AND AUDITOR GENERAL OF INDIA

 भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक

भारत में संसदीय शासन पद्धति की व्यवस्था की गई है जिसके अनुसार सरकार संसद की आज्ञा के बिना किसी प्रकार का कोई भी व्यय नहीं कर सकती और  कोई कर लगा सकती है।  वास्तव में में सरकार प्रशासन तथा वित् सम्बन्धी मामलों के बारे में संसद के प्रति उत्तरदायी है।  संसद के सदस्य किसी भी समय देश की आर्थिक, प्रशासनिक एवं अन्य किसी स्थिति के बारे में सरकार से प्रश्न कर सकते हैं तथा मंत्रियों को उतर देना पड़ता है।

  देश की वित् व्यवस्था पर संसद का पूर्ण नियंत्रण होना ज़रूरी है, परन्तु संसद सदस्यों को वितीय समस्याओं का ज्ञान नहीं होता और न ही वे सरकार के स्थायी कर्मचारियों को भांति पूर्ण काल के लिए काम करते हैं इसलिए संसद को सरकार की वित् निति पर नियंत्रण करने के लिए वित् प्रशासन में निपुण नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (Comptroller and Auditor General) की सहायता लेनी पड़ती है। नियंत्रण एवं महालेखा परीक्षक संसद के प्रतिनिधि  के रूप में तथा लोगों के अधिकारों के रक्षक के रूप में सरकार की आर्थिक निति तथा वित्-व्यवस्था पर नियंत्रण करता है। सरकार का कोई भी विभाग व् अधिकारी नियंत्रक एवं महालेखा परिक्षक की स्वीकृति के बिना एक पैसा भी खर्च नहीं कर सकता तथा खर्च के पश्चात उसे इसके लिए नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के प्रति उत्तरदायी होना पड़ता है।  


स्वतंत्रता से पहले मोंटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधर अधिनियम के  अन्तर्गत पहली बार भारत सचिव द्वारा महालेखा परीक्षक की नियुक्ति की गई थी। उसे गणना एवं लेखा विभाग (Accounts and Audit Department) का मुख्या अधिकारी नियुक्त किया गया।  ब्रिटिश सम्राट के प्रसाद पर्यन्त ही वह अपने पद पर रहता था। स्वतंत्रता के पश्चात उसके नाम में परिवर्तन करके उसे नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक का नाम दिया गया तथा उसे सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के समान स्थिति प्रदान की गई है।

CAG

नियुक्ति एवं पदच्युति (Appointment and Removal of CAG)

  CAG की नियुक्ति भारत के  राष्ट्रपति द्धारा प्रधानमंत्री की सलाह द्धारा  की जाती है।  संविधान की धारा 148(1) के अनुसार ” भारत का नियंत्रक एवं महलेखा परीक्षक एवं महालेखा परीक्षक होगा जिसको राष्ट्रपति अपने हस्ताक्षर और मुद्रा सहित अधिपत्र(Warrant) द्वारा नियुक्त करेगा तथा वह अपने पद से केवल उस विधि और उन्हीं कारणों से हटाया जाएगा जिस विधि और जिन कारणों से सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश हटाया जाता है।  लेखा परिक्षण एवं लेखांकन में निपुण व्यक्ति को इस पद के लिए नियुक्त किया जाता है।

कार्यकाल (Tennure of CAG)

  • नियंत्रक एवं महलेखा परीक्षक का कार्यकाल 6 वर्ष है।  पहले इस पद से निवृत होने  के लिए आयु  सम्बन्धी कोई प्रतिबन्ध नहीं था, परन्तु, 1972 के विशेष अधिनियम के अनुसार उसके सेवा की शर्तों में परिवर्तन किया गया है जिसके अनुसार उसके सेवानिवृत होने के लिए 65 वर्ष की आयु निश्चित की गई अर्थात यदि 6 वर्ष होने से पहले उसकी आयु 65 वर्ष हो जाए तो उसे सेवानिवृत होना पड़ेगा।
  • नियंत्रक एवं महलेखा परीक्षक का वेतन  संसद द्धारा निर्धारित होता है हालाँकि यह सर्वोच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के समतुल्य होता है तथा नियंत्रक एवं महलेखा परीक्षक के वेतन भारत की संचित निधि (Consolidated Fund of India) से दिया जाता है।
  • सेवानिवृत होने के पश्चात वह केंद्र अथवा किसी राज्य सरकार के अधीन सेवा स्वीकार नहीं कर सकता।  सर्वोच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की तरह ही अपना पद ग्रहण करने से पहले शपथ लेता है।  ये सभी प्रतिबन्ध इसलिए लगाए गए हैं क्योंकि नियंत्रक एवं महलेखा परीक्षक को स्वतंत्र अस्तित्व प्रदान किया जा सके ताकि वह किसी प्रकार के लालच में कार्यपालिका को अनुचित रूप में खुश रखने का प्रयत्न न करे।

कार्य एवं शक्तियां (Function and Powers of CAG)

  • संघ, प्रत्येक राज्य तथा प्रत्येक संघ राज्यक्षेत्र की संचित निधि से सभी प्रकार के व्यय की संपरीक्षा और उन पर याय प्रतिवेदन की क्या ऐसा व्यय विधि के अनुसार है, यह शक्ति नियंत्रण महालेखा परीक्षक को प्राप्त है।
  • संघ और राज्यों की आकस्मिकता निधि और लोक लेखों से हुए सभी व्ययों की संपरीक्षा और उन पर प्रतिवेदन।
  • संघ या राज्य के विभाग द्वारा किये गए सभी व्यापर तथा विनिर्माण के हानि और लाभ लेखाओं की संपरीक्षा और उन पर प्रतिवेदन।
  • संघ और राज्य की आय और व्यय की संपरीक्षा जिससे की उसका यह समाधान हो जाये की राजस्व के निर्धारण, संग्रहण  व् उसके उचित आबंटन के लिए पर्याप्त परिक्षण करने के उपरांत नियम और प्रक्रियाएं बनाई गई हैं।
  • संघ और राज्य के राजस्वों द्वारा पर्याप्त रूप में वित्तपोषित सभी निकायों और प्राधिकारियों की सरकारी कम्पनियों की, अन्य निगमों या निकायों की, जब  निगमों या निकायों से सम्बंधित विधि द्वारा इस प्रकार अपेक्षित हो, प्राप्ति और व्यय की संपरीक्षा और उस पर प्रतिवेदन।

  CAG का मुख्य कार्य वितीय अनियमितताओं पर अंकुश लगाना है।  CAG विभिन्न घोटालों को प्रकाश में लाकर प्रशासन को सदैव चौकन्ना रखता है- जैसे कोयला घोटाला, कामनवेल्थ घोटाला, 2G Scam तथा अन्य।   भारत के प्रथम  नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक वि. नरहरि राव थे जिनकी नियुक्ति 1948 में की गई थी। वर्तमान में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक राजीव महर्षि जी हैं।

LIST OF CAG OF INDIA

 
                       
No.
CAG of India
Year tenure began
Year tenure ended
1
V. Narahari Rao
1948
1954
2
A. K. Chanda
1954
1960
3
A. K. Roy
1960
1966
4
S. Ranganathan
1966
1972
5
A. Bakshi
1972
1978
6
1978
1984
7
T. N. Chaturvedi
1984
1990
8
C. G. Somiah
1990
1996
9
V. K. Shunglu
1996
2002
10
VN Kaul
2002
2008
11
2008
2013
12
Shashi Kant Sharma
2013
2017
13
Rajiv Mehrishi
2017
2020
14
 Girish Chander Murm
2020 
 presently serving

 

 

 
 

 

 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!