बोद्ध धर्म (BUDHISM)
बोद्ध धर्म (BUDHISM) के संस्थापक ?
बोध धर्म(Budhism) के संस्थापक (Founder)महात्मा बुध थे
इनकी पिता का नाम शुद्धोधन तथा माता का नाम महामाया था.
इनके पिता कपिलवस्तु के गणतांत्रिक शाक्यों के प्रधान थे जबकि माता कौशल राजवंश की राजकुमारी थी
इनका विवाह मात्र 16 वर्ष की आयु में ही हो गया था.
इनकी पत्नी का नाम यशोदरा था कोली वंश की राजकुमारी थी
.
एक वृद्ध व्यक्ति , रोगी , मृतक तथा सन्यासी को देखकर इन्होने तथा उनसे प्रभावित होकर गृह त्याग किया
– इनके घोड़े का नाम कंठक तथा सारथी (charioteer ) का नाम चन्ना था जिनके साथ इन्होने गृह त्याग किया तथा गृह त्याग करने की घटना का प्रतिक को घोड़ा(Horse ) माना जाता है
इनके प्रथम गुरु अलारा कलमा (Sankhya Philosopher) जिनसे इन्होने योग की शिक्षा ली
इनके दुसरे गुरु उद्रक रामपुत्र थे
35 वर्ष की आयु में इन्हे गया (बिहार) के उरुवेला नामक जगह पर पीपल के वृक्ष के निचे विशाख पूर्णिमा के रात्रि को ज्ञान की प्राप्ति हुई जिसे बोध ग्रंथो ने निर्वाण की संज्ञा दी है
महात्मा बुध ने लगता भ्रमण कर 40 वर्ष तक उपदेश दिए तथा सर्वाधिक कौशल प्रदेश की राजधानी श्रावस्ती में दिए इन्होने अपने उपदेश जनसाधारण की भाषा पाली में दिए
इनका सबसे पहला उपदेश सारनाथ में दिया जिसे धर्मचक्रप्रवर्तन (Turning The Wheel of Law)कहा जाता है
महात्मा बुध के जीवन की महत्वपूर्ण घटनायें तथा उनसे जुड़े प्रतिक
जन्म ———————– ————————- कमल और बैल (Lotus & Bull )
महाभिनिष्क्रमण (Renunciation —————– घोड़ा
निर्वाण (Enlightnment ) ———————— बोधि वृक्ष
धर्मचक्रप्रवर्तन (First Sermon ) ———— पहिया (Wheel)
बुध के चार आर्य सत्य
अष्टांगिक मार्ग (EIGHT FOLD PATH OF BUDHISM)
निर्वाण में विश्वास
बुध के अनुसार जब इच्छा समाप्त होगी(Desire) तो पुनर्जन्म का चक्र समाप्त होगा(Rebirth),तथा निर्वाण की प्राप्ति होगी तथा इसके लिएअष्टांगिक(Eight Folds) मार्गों पर चल कर ही इसे प्राप्त किया जा सकता है
अहिंसा
महात्मा बुध ने कहा की मनुष्य को किसी भी प्रकार जीवित वस्तु ,पशु तथा मानव को हानि नहीं पहुंचनी चाहिए तथा अहिंसा का पालन का करना चाहिए
कर्म का सिद्धांत
बुध के अनुसार इंसान अपने पूर्व में किए गए कर्मों का फल पाता है
बोध ग्रन्थ (Literature of Budhism)
त्रिपिटक
विनय पिटक
इसमें संघ सम्बन्धी नियम(Organisation), (Discpline)अचार-विचार तथा विधि(Rules) निषेधों का संग्रह है
सूत पिटक
इसमें बुध के उपदेशों (Sermon) का संग्रह है
अभिधम् पिटक
बोध धर्म के दार्शनिक सिधान्तो(Philosophical Principles ) का संग्रह है
महावंश और दीपवंश अन्य बोध ग्रंथों हैं जिनमे उस समय के श्रीलंका का विवरण दिया गया है
Also read – Jainism, Budhism, Vedic Period, Vedic Literature, Indus Valley Civilization