GUPTA ERA -Social and Cultural Development
Gupta Era-Administration
Gupta Era-
गुप्त काल में राजा को परमेशवर(Parameshwar),महाराजाधिराज(Maharajadhiraj) परमभट्टारक भी कहा जाता था।
— सबसे महत्वपूर्ण अधिकारी कुमारामात्य (Kumarmatya)होते थे।
–राज्य की स्थायी सेना(Permanent Army) होती थी।
–गुप्तवंशी राजाओं ने इस काल में बड़ी संख्या में सोने के सिक्के जारी किये जिन्हे दीनार(Dinar) के नाम से जाना जाता था। चांदी के सिक्कों को रुपयेका (Rupaykas)कहते थे।
सामाजिक व्यवस्था
— जातियां, उपजातियों (Castes were divided into Sub castes)में विभक्त हो गयी थी।
—स्त्रियों की दशा पहले से भी निम्न(Status of female was declined) हो गयी थी।
— इसी काल में सति प्रथा(Instance of Sati) का भी उल्लेख मिलता है।
— सति प्रथा का उल्लेख एरण अभिलेख(Aron Inscription) (510 ईसवी में निर्मित) से मिलता है।
—शूद्रों की दशा में सुधार हुआ परन्तु जाति प्रथा(Caste System) ने अपनी जड़े जमानी शुरू कर दी थी। चीनी यात्री फाह्यांन के अनुसार, चांडाल समाज से बहिष्कृत थे और वे गाँव के बाहर(resides outside the village) बसा करते थे। उच्च जाति के लोग उनसे घृणा (Hatred)करते थे।
—कुमारगुप्त के शासन काल के समय नालंदा विश्वविद्यलय(Nalanda University was founded) की स्थापना की गई थी।
— वर्तमान में जो हिन्दू धर्म के रूप है(Present Hindu religion) उसका स्वरुप इसी युग में निर्मित हुआ। इसी काल में त्रिमूर्ति अर्थ ब्रह्मा (Brahma, Vishnu and Mahesh)तथा विष्णु तथा महेश की पूजा प्रारम्भ हुई।
Gupta Era-Culture and Literature
— भगवद्गीता (Bhagvadgita was created in this era) की रचना इसी युग में हुई।
–मूर्ति पूजा (Idol Worship)इस युग में प्रचलन में थी।
— झाँसी के देवगढ़ में स्थित दशावतार विष्णु (Dashavatar Temple) मंदिर, साँची के समीप एक छोटा मंदिर तथा कानपुर का भीतरगांव का मंदिर गुप्त काल में ही निर्मित हैं।
— विष्णु इनके इष्ट देवता थे।
— बामियान (In Afghanisthan) की बोध मूर्तियां भी इसी काल से सम्बंधित हैं।
— अजंता (Painting of Ajanta caves)एवं बाघ की गुफाओं(Bagh Caves) के चित्र इस युग की चित्र कला के उदहारण हैं।
— हिन्दू, बौद्ध तथा जैन साहित्य (Literature)इसी युग में लिखा गया।
— रामायण और महाभारत(Ramayna & Mahabharata) का वर्तमान स्वरुप इसी युग की देन है।
— विष्णु शर्मा द्वारा रचित पंचतंत्र और हितोपदेश(Panchtantra & Hitopdesh) की रचना इसी युग में हुई। पुराण एवं स्मृतियाँ इसी युग में रची गई।
–इसी समय में ईश्वरकृष्ण ने सांख्यकारिका(Sankhyakarika) की रचना की।
— कालिदास द्वारा संस्कृत में रचित कुमारसम्भव, मेघदूत, अभिज्ञानशंकुन्तलम, मालविकाग्निमित्रम, इसी काल की रचनाएँ हैं कालिदास को भारत का शेक्सपीअर (Known as Indian Shakespear)भी कहा जाता है।
— विशाखदत्त द्वारा मुद्राराक्षस(Mudrarakshas) , देवी चंद्रगुप्तम(Debi Chandraguptam), भट्टी का रावण वध, शूद्रक का मृच्छकटिकम(Mrichhkattikam),सुबंधु की वासवदत्ता, भी इसी युग के देन हैं।
— आर्यभट्ट इस समय के प्रख्यात गणितज्ञ एवं खगोलशास्त्री थे जिन्होंने आर्यभट्टीय की रचना की, जिसमे उन्होंने संख्या के पहले 9 अंको तथा शुन्य का इस्तेमाल(Use of first 9 number and use of Zero) करना सिखाया। इन्होने Pie की Value की गणना करने के बारे में भी बताया और Algebra की खोज भी की। इनके द्धारा रचित ग्रन्थ सूर्यसिद्धांत(Suryasidhanta) में इन्होने पृथ्वी के अपनी धुरी में घूमती है(Earth rotates in its own axis but revolves around the sun) तथा यह सूर्य के चक्कर लगाती है। इसी प्रकार इन्होने सूर्यग्रहण, चंद्रग्रहण तथा इन घटनाओं की समयावधि के बारे में भी बताया है। इन्होने यह भी बताया की चाँद का अपना कोई प्रकाश नहीं होता बल्कि यह सूर्य द्धारा प्राप्त प्रकाश को परावर्तित(Reflects) करते हैं।
वराहमिहिर ने वृत्तसंहिता(Vritsamhinta) एवं पंचसिन्धांत(Panchsidhanta) नाम खगोलशास्त्र के ग्रंथों की रचना की। ब्रह्मगुप्त का खगोलसिधांता भी खगोलशास्त्र का प्रसिद्ध ग्रन्थ है।
धन्वन्तरि (Dhanvantri)तथा शुश्रुत(Shusruta) इस युग के प्रसिद्ध वैद थे।
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