MAGADHA EMPIRE(मगध साम्राज्य)
छठी शताब्दी ईसा पूर्व निम्नलिखित 16 महाजनपदों (Mahajanpads) का उदय हुआ
महाजनपद राजधानी आधुनिक स्थान
1 काशी वारणशी भागलपुर, मुंगेर
2 कुरु इंद्रप्रस्थ बरेली, बंदायू
3 कौशल श्रावस्ती पटना, गया
4. पांचाल काम्पिल्य बुंदेलखंड
5. अंग चंपा वाराणसी
6. मत्स्य विराटनगर दिल्ली
7. मगध गिरिव्रज इलाहबाद
8. सूरसेन मथुरा जयपुर
9. वज्जि मिथिला मुजफ्फरपुर
10 अश्मक प्रतिष्ठान राजोरी
11 मल्ल कुशीनगर फ़ैजाबाद
12. अवन्ति महिष्मति मथुरा
13. चेदि शुक्तिमती मालवा
14 गांधार तक्षिला गोदावरी नदी क्षेत्र
15 वत्स कौशाम्बी देवरिया
16. कम्बोज लाजपुर रावलपिंडी
इन सभी महाजनपदों में मगध सबसे शक्तिशाली महाजनपद(Most powerful Mahajanpad) था
MAGADHA EMPIRE(मगध साम्राज्य)- हर्यक वंश
बिम्बिसार(544BC – 492BC )
बिम्बिसार के दादा ने इस वंश की स्थापना की थी परन्तु बिम्बिसार ने ही मगध में इस वंश को सही ढंग से स्थापित किया। इनकी राजधानी राजगृह (Rajgrih) थी ।
बिम्बिसार महात्मा बुध के समकालीन(Contemporary) थे। बिम्बिसार ने कौशल, वैशाली और मद्र राज्यों के साथ विवाहेतर सम्बन्ध (Established Marriage alliance)स्थापित तथा इनकी तीन पत्नियां (3 Wives) थी। राजधानी पांच पहाड़ियों के बीच में स्थित थी। जिसकी वजह से राजगृह अभेद्य(impregnable) हो गया।
अजातशत्रु (492 BC -460 BC)
अजातशत्रु बिम्बिसार का पुत्र था जो की अपने पिता बिम्बिसार का वध करने (Came to throne after killing his father) के पश्चात राजगद्दी पर बैठा।
अजातशत्रु ने वैशाली और कौशल राज्य को अधिकार ( won in battle)में ले लिया।
अजातशत्रु बोध धर्म का अनुयाई(Follower) था तथा उसके शाशनकाल में ही पहली बोध महासभा (First Budhist Council) हुई।
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MAGADHA EMPIRE(मगध साम्राज्य)- उदयिन (460 BC – 444 BC)
गंगा और सोन नदियों के संगम पर पाटलिपुत्र (present Patna)की स्थापना कर उसे अपनी राजधानी बनाया।
MAGADHA EMPIRE(मगध साम्राज्य)- शिशुनाग वंश
इस वंश की स्थापना(founded) शिशुनाग ने ही की थी तथा उसका उत्तराधिकारी कालाशोक था जिसके शाशनकाल में ही दूसरी बोध संगति(Second Budhist Council) हुई
राजधानी पाटलिपुत्र से लेकर वैशाली (Capital Shifted)ले जायी गई। इसकी मुख्य उपलब्धि अवन्ति (won Avanti)को जीतकर मगध में मिलाना था।
MAGADHA EMPIRE(मगध साम्राज्य)- नन्द वंश
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महापद्मनंद को नन्द वंश का संस्थापक (Founder)माना जाता है।
महापद्मनंद को नन्द वंश का संस्थापक (Founder)माना जाता है।
इन्होने कलिंग को अपने अधिकार (Conqurred Kalinga) में ले लिया तथा वहाँ पर नहरों (Build Canals) का निर्माण भी करवाया।
इस वंश का अंतिम शाशक(Last ruler) धनानंद था जिसके शाशनकाल में सिकंदर का आक्रमण ( Alexander invaded) भी हुआ।
नन्द शाशक अत्यधिक धनि और शक्तिशाली थे तथा इनके पास 200000 पेदल सैनिक, 20000 घुड़सवार और 6000 के हाथी थे। इसी काल में धातु मुद्रा का प्रचलन भी शुरू हुआ।
इसी काल में ही नगरीकरण के शुरुआत हुई तथा यह भारत का द्वितीय नगरीकरण कहलाता है। क्यूंकि लगभग 1200 वर्षों तक किसी भी नए नगर की स्थापना नहीं हुई। नन्दो पर चढाई(Attack) करने की सिकंदर की भी हिम्मत नहीं हुई।
भारत पर सिकंदर का आक्रमण (326 BC )
सिकंदर यूनान के राजा( Philip of Macedonia) फिलिप का पुत्र था जिसका जन्म 356 BC में हुआ।
भारत में जिस समय मगध के साम्राज्य(Magadha Empire) का उत्कर्ष(India was divided into many small states) हो रहा था तथा भारत का सम्पूर्ण क्षेत्र छोटे छोटे राज्यों में विभक्त था सिकंदर का आक्रमण (Invaded)हुआ।
सिकंदर ने भारत पर आक्रमण विश्व् विजेता बनने(to conquer the world ), धन अर्जित करने(for wealth) , नए स्थानों के बारे में जानने(curiosity to know different places) के लिए किया।
सिकंदर सिंधु नदी को पार कर तक्षशिला की और बड़ा तथा वहां के राजाओं ने आसानी से आत्मसमर्पण (surrendered)कर दिया। परन्तु पंजाब के राजा पोरस (Porus)ने सिकंदर के साथ झेलम नदी के किनारे ह्यदेसपास का युद्ध (वितस्ता का युद्ध लड़ा )(Battle of Hydespass) परन्तु हार गया।
व्यास नदी के किनारे पहुँच कर उसके सैनिकों ने आगे बढ़ने से मना (Refused to move further)कर दिया। लगातार युद्धों से हताशा(due to tiredness), नंदों की विशाल सेना, कष्टदायक जलवायु (Hard weather)और जल्दी घर लौटने की व्यग्रता इसके मुख्य कारण थे।
सिकंदर 19 महीने तक भारत में रहने के पश्चात तथा नवंबर 326 BC को सिकंदर की वापसी झेलम के रास्ते शुरू हुई तथा वह बेबीलोन चला गया जहां 323 BC में उसकी मृत्यु हुई।
सिकंदर 19 महीने तक भारत में रहने के पश्चात तथा नवंबर 326 BC को सिकंदर की वापसी झेलम के रास्ते शुरू हुई तथा वह बेबीलोन चला गया जहां 323 BC में उसकी मृत्यु हुई।
सिकंदर के आक्रमण से भारतियों में एकता(Importance of Unity) स्थापित करने की प्रवृति का उदय हुआ। तथा चन्द्रगुप्त मौर्य ने मौर्य वंश(Moryan Dynasty) की स्थापना की।
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