Arabian Attacks to India (अरबों का भारत पर आक्रमण)
मध्यकालीन भारत
अरबों का भारत पर आक्रमण
सबसे पहले अरबों ने बम्बई के निकट थाना को जितने 636 AD में उमर खलीफा ने आक्रमण किया परन्तु वह असफल रहा। इसके पश्चात अलमुहल्लव ने 664 AD में असफल आक्रमण किया।
मुहम्मद बिन कासिम भारत पर आक्रमण करने वाला प्रथम अरब मुस्लिम शासक था जिसने अपने प्रयास में 712 AD में सफलता पाई। उसने सिंध के ब्राह्मण शासक दाहिर (Defeated Dahir and Conquered Multan)को हरा कर सिंध और मुल्तान पर अपना अधिकार कर लिया था। अरबों के सिंध पर विजय की जानकारी चचनामा से प्राप्त होती है।राजा दाहिर के पिता का नाम चच(Father of Dahir) था। अरबों के भारत में आक्रमण का कारण भारत को लूटना तथा इस्लाम(Main objective was to plunder India and propagation of Islam) का प्रचार करना था। अरब बोलेन दर्रे के रास्ते से भारत आये।मुहम्मद बिन कासिम 715 AD में जुनैद को सिंध का राज्यपाल नियुक्त कर वापिस चला गया। अरबों ने भारत पर आक्रमण करके अन्य विदेशी आक्रमणकारियों के लिए मार्ग प्रशस्त किया। जुनैद ने नागभट्ट (प्रतिहार शासक)(Defeated Nagbhatta) को भी पराजित किया।
महमूद गजनवी
अलप्तगीन ने गजनी साम्राज्य की स्थापना की।
सुबुक्तगीन गजनी के शासक के रूप में 977 AD में स्थापित हुआ।
भारत पर आक्रमण करने वाला(986 AD) प्रथम तुर्क था। वह अलप्तगीन का दामाद था।
सुबूक्तगीन का पुत्र महमूद गजनवी था।
सुबुक्तगीन के शासन काल में वह खुरासान(General of Khurasan) का शासक था।
महमूद गजनवी 998 AD में राजगद्दी पर बैठा इस के लिए उसे अपने भाई इस्माइल से भी संघर्ष करना पड़ा। उसने बगदाद के खलीफा से सुल्तान की उपाधि प्राप्त की।
1000 AD से 1028 AD तक उसने भारत पर 17 बार आक्रमण किये। जिनका उद्देश्य भारत से विशाल मात्रा में धन लूटना और इससे मध्य एशिया में विशाल साम्राज्य की स्थापना करना था।
1001 AD में बैहिन्द की प्रथम लड़ाई में पंजाब के हिन्दू शासक जयपाल को हराया।
1008 AD में बैहिन्द की द्धितीय लड़ाई में भी जयपाल के उत्तराधिकारी आनंदपाल को पराजित किया।
उसने सोमनाथ, कन्नौज, थानेश्वर, आदि नगरों को लुटा(Plundered and Destroyed) और तबाह कर दिया।
1018 AD में कन्नौज पर अधिकार किया।
1025 AD में सोमनाथ पर आक्रमण किया तथा भारी मात्रा में सम्पति लूटी और सोमनाथ की मूर्तियों के टुकड़ो को मक्का, मदीना और गजनी की सीढ़ियों पर लगवाया।
चंदेल वंश के राजा विद्याधर से महमूद गजनवी को 1008 AD में संधि करनी पड़ी।
किताब उल का रचनाकार उतबी महमूद गजनवी का राजदरबारी था, शाहनामा की रचना फिरदौसी ने की थी तथा अलबरूनी ने किताब उल हिन्द या तहक़ीक़ ए हिन्द की रचना की थी।
ये सभी रचनाकार गजनवी के साथ भारत आये।
लगभग 50000 लोगों को महमूद गजनवी के सोमनाथ आक्रमण के दौरान मोत के घाट उतार दिया गया।
1027 AD में आगरा के समीप भेरा में महमूद गजनवी ने अंतिम आक्रमण किया।
भारतीय इतिहास में महमूद गजनवी को बुतशिकन अर्थात मूर्तिभंजक(Destroyer of Statues) के नाम से जाना जाता है।
मुहम्मद गोरी
मुहम्मद गोरी का पूरा नाम मुईजुद्दीन मुहम्मद गोरी (Muinjuddin Muhammad Gori)उर्फ़ शिहाबुद्दीन था।
भारत में तुर्क राज्य का संस्थापक मुहम्मद गोरी (Founder of Turk Dynasty in India) ही था। मुहम्मद गोरी ने भारत पर पहला आक्रमण 1175AD में मुलतान में किया।
1178 AD में गोरी ने गुजरात पर आक्रमण किया परन्तु वह गुजरात के राजा मूलराज से हार गया और उसे बंदी बना लिया परन्तु बाद में छोड़ दिया। 1179AD में गोरी ने पेशावर को जीत लिया।
1185 AD सिआलकोट को जीत कर वापिस चला गया।
1186 AD में लाहौर पर आक्रमण किया।
1191 AD में गोरी और पृथ्वी राज चौहान (इसी समय दिल्ली पर पृथ्वीराज चौहान का शासन था) के बीच तराईन का प्रथम युद्ध हुआ(भटिंडा के समीप)जिसमे गोरी को बड़ी हार का सामना करना पड़ा।
1192 AD में गोरी और पृथ्वी राज चौहान के बीच तराईन का द्धितीय युद्ध हुआ जिसमे गोरी को विजय प्राप्त हुई। गोरी ने पृथ्वी राज चौहान को बंदी बना दिया। इस युद्ध के पश्चात भारत इतिहास के नए युग(Beginning of A New Era of Indian History) की शुरुआत हुई तथा भारत में तुर्क सता का कब्ज़ा हो गया। गोरी को ही भारत में मुस्लिम साम्राज्य का संस्थापक माना जाता है। गोरी ने गजनी वंश के अंतिम शासक खुसरो(Killed last Gajni Dynasty ruler Khusro) की हत्या कर दी। गोरी ने 1193AD में दिल्ली को भारत की राजधानी बनाया।
1194 AD में गोरी और जयचंद के मध्य चंदवार का युद्ध हुआ जिसमे गोरी को विजय प्राप्त हुई और अजमेर पर मुस्लिम शासन स्थापित हो गया। बख्तियार खिलजी (गोरी का सेनापति) ने पूर्वी भारत को जीत लिया और नालंदा और विक्रमशिला विश्वविद्यालयों(Destroyed Nalanda and Vikramshila Universities) को नष्ट कर दिया।
1196 AD में अजमेर में संस्कृत विश्वविद्दालय के स्थान पर “अढ़ाई दिन का झोंपड़ा ” नाम की एक प्रसिद्ध मस्जिद के निर्माण करवाया जो 1200AD तक बन के तैयार हुई।
1205 AD में खोखरों के साथ चेनाब नदी और झेलम नदी के बीच में युद्ध हुआ। 1206 AD में गजनी वापिस जाते हुए खोखर के अचानक आक्रमण करने पर नमाज़ पड़ते हुए मुहम्मद गोरी का क़त्ल कर दिया परन्तु उसके शव को गजनी में दफनाया गया।उसके द्धारा जीते गए क्षेत्रों की जिम्मेवारी उसने कुतुबद्दीन ऐबक(Qutubuddin Aibak) को सौंपी।
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