SUPREME COURT OF INDIA
- SUPREME COURT OF INDIA
- APPOINTMENT OF JUDGES (नियुक्ति)
- QUALIFICATION (योग्यताएं)
- OATH AND TERM OF SERVICE (शपथ, कार्यकाल तथा समाप्ति )
- SALARY AND OTHER ALLOWANCES TO THE JUDGES OF SUPREME COURT
- LIBERTIES TO JUDGES
- IMPEACHMENT OF JUDGES
- List of Chief Justice of Supreme Court of India
- JURISDICTION OF SUPREME COURT(क्षेत्राधिकार)
- उच्चतम न्यायालय का उद्घाटन 28 जनवरी, 1950 को किया गया था।
- उच्चतम न्यायालय भारतीय न्याय प्रणाली की सर्वोच्चतम स्थान है।
- संविधान के भाग-5 अनुच्छेद 124 से 147 तक उच्चतम न्यायालय के उपबंधों का विवरण दिया गया है।
- उच्चतम न्यायालय में एक मुख्य न्यायाधीश तथा 30 अन्य न्यायाधीश होते हैं।
APPOINTMENT OF JUDGES (नियुक्ति)
- न्यायाधीशों की नियुक्ति उच्चतम न्यायालय से परामर्श के आधार पर राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
- राष्ट्रपति को परामर्श देने से पहले मुख्य न्यायाधीश अनियार्य रूप से ‘चार वरिष्टतम न्यायाधीशों के समूह’ से परामर्श प्राप्त करने के पश्चात परामर्श के आधार पर राष्ट्रपति को परामर्श देते हैं।
- वास्तव में उच्चतम न्यायालय का सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश उच्चतम न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश बनता है।
Attorney General of India,
Comptroller and Auditor General of India , Parliament of India
QUALIFICATION (योग्यताएं)
- वह भारत का नागरिक हो।
- वह 35 वर्ष की आयु पूर्ण कर चूका हो।
- वह लोक सभा का
- वह किसी उच्च न्यायालय में 2 या दो से अधिक उच्च न्यायालयों में न्यूनतम 5 वर्ष तक न्यायाधीश के रूप में कार्य कर चूका हो अथवा किसी उच्च न्यायालय में या न्यायालयों में लगातार 10 वर्ष तक अधिवक्ता रह चूका हो अथवा राष्ट्रपति की दृष्टि में क़ानून का उच्च कोटि (A distinguished jurist of the country) का ज्ञाता हो।
- संविधान में उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश की नियुक्ति के लिए न्यूनतम आयु का उल्लेख नहीं है।
OATH AND TERM OF SERVICE (शपथ, कार्यकाल तथा समाप्ति )
- उच्चतम न्यायालय के लिए नियुक्त न्यायाधीश को अपना कार्यकाल सँभालने से पूर्व भारत के राष्ट्रपति या इस कार्य के लिए उसके द्वारा नियुक्त व्यक्ति के समक्ष शपथ लेनी होती है।
- उच्चतम न्यायालय का प्रत्येक न्यायाधीश 65 वर्ष की आयु तक अपने पद पर रह सकता है या इससे पूर्व स्वेच्छा से राष्ट्रपति को अपना लिखित त्यागपत्र सौंप सकता है।
- उसे राष्टपति द्वारा भी उसके पद से मुक्त किया जा सकता है।
- इसके आलावा सिद्ध कदाचार अथवा असमर्थता के आधार पर संसद के द्वारा न्यायाधीश को उसके पद से हटाया जा सकता है।
SALARY AND OTHER ALLOWANCES TO THE JUDGES OF SUPREME COURT
- वर्तमान में उच्चतम न्यायालय के मुख्या न्यायाधीश को 280000/-रूपए प्रति माह तथा अन्य न्यायाधीशों को 250000 /-प्रति माह वेतन दिया जाता है।
- न्यायाधीशों को उनका वेतन भारत की संचित निधि (Consolidated Fund of India) से दिया जाता है।
- न्यायाधीशों के लिए पेंशन तथा सेवानिवृति वेतन की व्यवस्था भी है।
LIBERTIES TO JUDGES
- न्यायालयों को अपने कार्यालयों में अधिकारियों तथा कर्मचारियों को नियुक्त करने की पूर्ण स्वतंत्रता है।
- न्यायाधीशों के व्यवहार के बारे में संसद अथवा राज्य विधान सभा में चर्चा नहीं की जा सकती है।
- न्यायालयों द्वारा लिए गए निर्णयों व् कार्यों की आलोचना नहीं की जा सकती। ताड़ी व्यक्ति ऐसा करता है तो उसे न्यायालय की मान हानि के लिए दण्डित भी किया जा सकता है।
- न्यायाधीशों द्वारा अवकाश प्राप्ति के पश्चात भारत के किसी भी न्यायालय में वकालत करने पर प्रतिबन्ध लगाया गया है।
- न्यायाधीशों को उनका वेतन भारत की संचित निधि (Consolidated Fund of India) से दिया जाता है तथा उन पर संसद द्वारा मतदान की ज़रुरत नहीं होती।
- न्यायाधीशों के वेतन तथा सेवा की शर्तों में उनके कार्यकाल में उनके हित के विपरीत परिवर्तन सिवाय आपातकाल के नहीं किया जा सकता।
- न्यायाधीशों को हटाने की विधि काफी कठिन बनाई गई है। उन्हें केवल दुर्व्यवहार के कारण तथा असमर्थता सिद्ध हनोई पर दोनों सदनो के विशेष बहुमत से प्रस्ताव पारित होने पर उनके पद से राष्ट्रपति द्वारा हटाया जा सकता है।
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IMPEACHMENT OF JUDGES
- सबसे पहले निष्कासन प्रस्ताव 100 सदस्यों (लोक सभा में) या 50 सदस्य (राज्य सभा में )द्वारा हस्ताक्षर करने के बाद सभापति/अध्यक्ष को दिया जाएगा।
- सभापति/अध्यक्ष के पास इस प्रस्ताव को स्वीकार व अस्वीकार करने का अधिकार प्राप्त है।
- स्वीकार करने के पश्चात सभापति को इसकी जांच के लिए 3 सदस्यीय समिति गठित करनी होगी।
- समिति के गठन में शामिल व्यक्ति – 1 . मुख्य न्यायाधीश या उच्चतम न्यायलय का कोई न्यायाधीश 2. किसी उच्च न्यायालय का मुख्य और 3. प्रतिष्ठित न्यायवादी।
- यदि समिति द्वारा न्यायाधीश को दुर्व्यवहार का दोषी या असक्षम पाया जाता है तो सदन इस प्रस्ताव पर विचार कर सकता है।
- इसके बाद विशेष बहुमत से दोनों सदनों में प्रस्ताव को पारिति कर (उपस्थित एवं मत देने वाले सदस्यों का दो तिहाई) इसे राष्ट्रपति को भेज दिया जाता है।
- अंत में राष्ट्रपति न्यायाधीश को हटाने के कर देते हैं।
हालांकि उच्चतम न्यायालय की किसी न्यायाधीश पर अब तक महाभियोग नहीं लगाया गया है। परन्तु पहला एवं एकमात्र महाभियोग का मामला उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश म्यायमूर्ति वि.. रामास्वामी (1991 -1993) का है। यद्पि जांच समिति ने उन्हें दुर्व्यवहार का दोषी पाया पर उन पर महाभियोग नहीं लगाया जा सका क्योंकि यह लोकसभ में पारित नहीं हो सका।
List of Chief Justice of Supreme Court of India
Period of office | Length of term (days) | |
H. J. Kania (1890–1951) | 26 January 1950 | 6 November 1951† |
M. Patanjali Sastri (1889–1963) | 7 November 1951 | 3 January 1954 |
Mehr Chand Mahajan (1889–1967) | 4 January 1954 | 22 December 1954 |
Bijan Kumar Mukherjea (1891–1956) | 23 December 1954 | 31 January 1956‡ |
Sudhi Ranjan Das (1894–1977) | 1 February 1956 | 30 September 1959 |
Bhuvaneshwar Prasad Sinha (1899–1986) | 1 October 1959 | 31 January 1964 |
P. B. Gajendragadkar (1901–1981) | 1 February 1964 | 15 March 1966 |
Amal Kumar Sarkar (1901–unknown) | 16 March 1966 | 29 June 1966 |
Koka Subba Rao (1902–1976) | 30 June 1966 | 11 April 1967‡ |
Kailas Nath Wanchoo (1903–1988) | 12 April 1967 | 24 February 1968 |
Mohammad Hidayatullah (1905–1992)[2] | 25 February 1968 | 16 December 1970 |
Jayantilal Chhotalal Shah (1906–1991) | 17 December 1970 | 21 January 1971 |
Sarv Mittra Sikri (1908–1992) | 22 January 1971 | 25 April 1973 |
A. N. Ray (1912–2009) | 26 April 1973 | 27 January 1977 |
Mirza Hameedullah Beg (1913–1988) | 29 January 1977 | 21 February 1978 |
Y. V. Chandrachud (1920–2008) | 22 February 1978 | 11 July 1985 |
P. N. Bhagwati (1921–2017) | 12 July 1985 | 20 December 1986 |
Raghunandan Swarup Pathak (1924–2007) | 21 December 1986 | 18 June 1989‡ |
Engalaguppe Seetharamiah Venkataramiah (1924–1997) | 19 June 1989 | 17 December 1989 |
Sabyasachi Mukharji (1927–1990) | 18 December 1989 | 25 September 1990† |
Ranganath Misra (1926–2012) | 26 September 1990 | 24 November 1991 |
Kamal Narain Singh (1926–) | 25 November 1991 | 12 December 1991 |
Madhukar Hiralal Kania (1927–2016) | 13 December 1991 | 17 November 1992 |
Lalit Mohan Sharma (1928–2008) | 18 November 1992 | 11 February 1993 |
M. N. Venkatachaliah (1929–) | 12 February 1993 | 24 October 1994 |
Aziz Mushabber Ahmadi (1932–) | 25 October 1994 | 24 March 1997 |
J. S. Verma (1933–2013) | 25 March 1997 | 17 January 1998 |
Madan Mohan Punchhi (1933–2015) | 18 January 1998 | 9 October 1998 |
Adarsh Sein Anand (1936–2017) | 10 October 1998 | 31 October 2001 |
Sam Piroj Bharucha (1937–) | 1 November 2001 | 5 May 2002 |
Bhupinder Nath Kirpal (1937–) | 6 May 2002 | 7 November 2002 |
Gopal Ballav Pattanaik (1937–) | 8 November 2002 | 18 December 2002 |
V. N. Khare (1939–) | 19 December 2002 | 1 May 2004 |
S. Rajendra Babu (1939–) | 2 May 2004 | 31 May 2004 |
Ramesh Chandra Lahoti (1940–) | 1 June 2004 | 31 October 2005 |
Yogesh Kumar Sabharwal (1942–2015) | 1 November 2005 | 13 January 2007 |
K. G. Balakrishnan (1945–) | 14 January 2007 | 12 May 2010 |
S. H. Kapadia (1947–2016) | 12 May 2010 | 28 September 2012 |
Altamas Kabir (1948–2017) | 29 September 2012 | 18 July 2013 |
P. Sathasivam (1949–) | 19 July 2013 | 26 April 2014 |
Rajendra Mal Lodha (1949–) | 27 April 2014 | 27 September 2014 |
H. L. Dattu (1950–) | 28 September 2014 | 2 December 2015 |
T. S. Thakur (1952–) | 3 December 2015 | 3 January 2017 |
Jagdish Singh Khehar (1952–) | 4 January 2017 | 27 August 2017 |
Dipak Misra (1953–) | 28 August 2017 | 2 October 2018 |
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JURISDICTION OF SUPREME COURT(क्षेत्राधिकार)
- प्रारंभिक एकमेव क्षेत्राधिकार : इस से अभिप्राय उन विवादों से है, जिनकी सुनवाई केवल भारत के उच्चतम न्यायालय द्वारा ही की जा सकती है। इसके अंतर्गत निम्न विषय आते हैं-1. भारत सरकार तथा एक या एक से अधिक राज्यों के विवाद। 2. भारत सरकार, संघ का कोई राज्य या राज्यों तथा एक या अधिक राज्यों के बीच विवाद। 3. दो या दो से अधिक राज्यों के बीच संवैधानिक विषयों के सम्बन्ध में उत्पन्न कोई विवाद।
- न्यायिक पुनर्वालोकन(Judicial Review): इस अधिकार के तहत उच्चतम न्यायालय सुनिश्चित करता है की विधायिका द्वारा बनाये गए क़ानून तथा कार्यपालिका द्वारा जारी किये आदेश संविधान के प्रावधानों के विपरीत तो नहीं है। यदि मेल नहीं कहते तो यह उन्हें असैंवधानिक घोषित कर सकता है।
- अपीलीय क्षेत्राधिकार : उच्चतम न्यायालय भारत का अंतिम अपीलीय न्यायालय है। इसे समस्त राज्यों के उच्च न्यायालयों के निर्णयों के विरुद्ध अपील सुनने का अधिकार है।
- परामर्श सम्बन्धी क्षेत्राधिकार : भारत का राष्ट्रपति किसी कानूनी प्रश्न या तथ्य पर उच्चतम न्यायालय से सलाह मांग सकता है।
- उच्चतम न्यायालय का मत केवल सलाहकारी होता है। राष्ट्रपति इसे मानने के लिए बाध्य नहीं है।
- अभिलेख न्यायालय : उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए सभी निर्णयों को जाता है तथा अन्य मामले में उनका हवाला दिया जा सकता है। अतः यह एक अभिलेख न्यायालय के रूप में भी कार्य करता है।
- मौलिक अधिकारों का रक्षक।
- यह राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति के सम्बन्ध में किसी प्रकार के विवाद का निपटारा भी करता है।
- यह संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्यों के आचरण की जांच करता है। यदि उन्हें दुर्व्यवहार का दोषी पाया जाता है तो राष्ट्रपति से उनको हटाने की सिफारिश कर सकता है। इस सलाह को मानने के लिए राष्ट्रपति बाध्य है।
- न्यायालय को अपने फैसले की समीक्षा करने की शक्ति है। इस तरह यह अपने पूर्व में लिए गए फैसले पर अडिक रहने के लिए बाध्य नहीं है और सामुदायिक हितों न्याय के हित में यह इससे हटकर भी फैसले ले सकता है।
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