वैदिक साहित्य (Vedic Literature)
Vedic Literature वैदिक साहित्य के चार भाग(parts हैं. –
1. संहिता और वेद. ,(Samhita or Vedas)
2. ब्राह्मणः .(Brahmna)
3 आरनण्य(Aranya)
4. उपनिषद(Upnishads)
वेदों का अच्छी तरह स्मरण (Remembered and passed through generation to generation)किया जाता तहत तथा या गुरु शिष्य परंपरा के माध्यम से इन्हे काफी समय तक जीवित रखा गया ये सब के बारे मे शुरू में मौखिक रूप से एक पीढ़ी से दूसरी में आदान प्रदान होता रहा तथा इसीलिए हम इन्हे श्रुति (Hear) या देविज्ञान भी कहते हैं।
वैदिक साहित्य (Vedic Literature) में वेद
1. ऋग्वेद
2. यजुर्वेद
3 . सामवेद
4 . अथर्ववेद
ऋग्वेद- वैदिक साहित्य (Vedic Literature)
यह विश्व की सबसे प्राचीनतम धार्मिक (Oldest religious text) पुस्तक माना जाता है.
ऋग्वेद को लगभग 1700BC पहले लिखा गया.
इस ग्रंथ में लगभग 1028 श्लोक(Hymns) (11 वालखिल्य तथा 1017 सूक्त ) तथा 10600 मंत्र हैं
ऋग्वेद 10 मंडलों में विभाजित है
पहला व् दसवां मंडल बाद में जोड़ा गया है (First & Last mandal was added later)
6 Mandals (2nd to 9th)को गोत्र (Kul Grantha)भी कहा जाता है.
ऋग्वेद के दसवें मंडल में पुरुषसूक्त(Purushshukta) का वर्णन आता है जिसमे चार वर्णो (ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैषा, शूद्र ) के बारे में दिया गया हैं कि किस प्रकार से ब्रह्मा के मुख (Mouth) से ब्राह्मण , बाजुओं(Arms) से क्षत्रिय , जंघा(Legs) से वैश्य तथा पैरों(Feet) से शूद्रों का सृजन हुआ.
Third Mandal में गायत्री मंत्र दिया गया है (यह मंत्र सूर्य(Sun) की स्तुति के लिए है)
ऋग्वेद में सरस्वति नदी को दैवीय नदी(Deity River) के रूप में दर्शाया गया है।
ऋग्वेद में अग्नि, इंद्रा, मित्र, तथा वरुण इत्यादि देवताओं की स्मृति में रची गई प्रार्थनाओं(Prayers) का संकलन है
ऋग्वेद का पाठ करने वालो को होतृ (Hotri)की संज्ञा दी गयी है . इन मंत्रो का उच्चारण यज्ञों एवं धार्मिक अनुष्ठानो(Religious activities) में किया जाता था।
यजुर्वेद –वैदिक साहित्य (Vedic Literature)
यजुर्वेद में कर्मकांड(Sacrifices) के बारे में बताया गया है
इस वेद का पाठ करने वाले ब्राह्मण को अधरव्यु(Adharvayu) की संज्ञा दी गई है
यजुर्वेद दो भागों में विभक्त है
–कृष्ण यजुर्वेद (श्याम यजुर्वेद)(Black Yajurveda) यह गद्दा में लिखा गया है
–शुक्ल यजुर्वेद (श्वेत यजुर्वेद)(White Yajurveda) यह पद्दा में लिखा गया है
सामवेद –वैदिक साहित्य (Vedic Literature)
इस शब्द का उद्गम ‘समन ‘ से हुआ है जिसका अर्थ गान(Melody) से है. इसकी ऋचाओं का गान करने वाले ब्राह्मण को उद्गातृ(Udgatri) की संज्ञा दी गई है.
इसमें 1603 ऋचाएं हैं परन्तु 99 ऋचाओं के आलावा सारी ऋग्वेद से ली गई हैं.
ऋग्वेद में ध्रुपद राग(Dhrupad Rag) के बारे में वर्णन दिया गया है.
अथर्ववेद –वैदिक साहित्य (Vedic Literature)
यह वेद तीनो वेदों से पूर्ण रूप से भिन्न है(Different from all three vedas)
अथर्ववेद 20 खंडो में विभाजित है तथा िनमि 711 श्लोक हैं जो ज्यादातर जादू टोने तथा लोगों की व्यक्तिगत समस्याओं से सम्बंधित हैं।
वैदिक साहित्य (Vedic Literature) से जुड़े हुए ब्राह्मण
Some Brahmins are attached to vedas और वेदों तथा सूक्तो को elaborate करते हैं.
ऋग्वेद ———कौषीतकि और एतिरेया
यजुर्वेद———तैतिरीय और शतपथ
सामवेद——–पंचविश और जैमनीय
अथर्ववेद ——गोपथ
वेदों के उपवेद तथा उनके रचनाकार
वेद उपवेद सम्बंधित क्षेत्र रचनाकार
ऋग्वेद आयुर्वेद चिकित्सा शास्त्र धन्वंतरि
यजुर्वेद धनुर्वेद युद्ध कला से सम्बंधित विश्वामित्र
सामवेद गांधर्ववेद कला और संगीत भरतमुनि
अथर्ववेद शिल्पवेद भवन निर्माण विश्वकर्मा
वेदांग
वेदों के सही अर्थ(Meaning) तथा उनके सही उच्चारण (pronounciation) को समझने के लिए वेदांगो की रचना की गई है
वेदांग 6 हैं
शिक्षा —– उच्चारण (Pronounciation)
कल्प——— अनुष्ठान (Rituals)
व्याकरण ——विश्लेषण (Grammar)
निरुक्त——–व्युत्पत्ति (Etymology)
छंद——– छंदशास्त्र (Meter)
ज्योतिष ——-खगोल विज्ञानं(Astronomy)
षडदर्शन –वैदिक साहित्य (Vedic Literature)
वैदिक साहित्य (Vedic Literature)ये भी 6 हैंइनमे आत्मा (Soul), परमात्मा(God), जीवन मृत्यु(Life and Death) से सम्बंधित बातें दी गई हैं –
इनके साथ इनके प्रवर्तक भी हैं –
१. सांख्य दर्शन के साथ कपिलमुनि
२. योग के साथ पतञ्जलि
३. वैशेषिक के साथ कणाद
४. न्याय के साथ गौतम
५. पूर्व मीमांसा के साथ जैमिनी
६. उत्तर मीमांसा के साथ बादरायण
आरण्यक
अरण्य शब्द का अर्थ वन है अर्थात इनकी रचना वन(Forests) में हुई है ये दार्शनिक ग्रन्थ हैं जिनमे जीवन मृत्यु , पुनर्जन्म आदि के बारे में बताया गया है These acts as bridge between Gyan Yog and Karm Yog.
उपनिषद
उपनिषद का अर्थ उस विधि(process) से है जिसमे गुरु शिष्य परंपरा (Ashram) के तहत गुरु के बैठकर शिक्षा ली जाती थी
ये 108 हैं तथा इन्हे वेदांत (End of Vedas) भी कहा जाता है तथा ये वेदों का सही उद्देश्य भी बताते हैं
पुराण
पुराणों की संख्या 18 है इनमे सबसे पुराना मतस्य पुराण है जिसमे विष्णु के 10 अवतारों के बारे में बताया गया है