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Foreign Ruler After Morya Dynasty
मौर्य साम्राज्य के बाद पूर्वी भारत, मध्य भारत तथा दक्कन में शुंग वंश, कण्व वंश और सातवाहन वंश ने शासन किया। उतरी – पश्चिमी भारत में मौर्यों के बाद मध्य एशिया से आये अनेक राजवंशो ने शासन किया।
1. भारत में यवन राज्य
इसने बोध दार्शनिक नागसेन(Nagsena) के मार्गदर्शन से बोध धर्म(Budhism) अपना लिया। इन दोनों के बीच में हुए वार्तालाप का वृतांत पाली भाषा में लिखे गए “मिलिन्दपन्हो”(Milinda panho) में है।
2. शक राज्य
यूनानियों के पश्चात भारत में शकों (Shakas)का शासन किया। इन्हे सीथियन(Scythians) के नाम भी दिया गया है इन्होने यूनानियों से भी अधिक क्षेत्र पर आधिपत्य किया।
ये पांच शाखाओं में विभाजित(Divided in 5 branches) थे – काबुल, तक्षशिला , मथुरा, उज्जयिनी और नासिक।
3 . पल्लव राज्य
पश्चिमोत्तर भारत में शकों के आधिपत्य के पश्चात पार्थियाई (Parthians)लोगों का मूल निवास स्थान ईरान (Iran)था।
पल्लव वंश का सबसे प्रशिद्ध शासक गोण्डोफर्निस(Gondofurnish) था इसके राज्य की राजधानी तक्षशिला थी।
इसके शासन काल में St. Thomas ईसाई धर्म के प्रचार (propagation)के लिए भारत आए।
पल्ल्वों की शक्ति और शासन का अंत कुषाणों(Kushans) ने किया।
4. कुषाण राज्य
कुषाण भारत में उतरी मध्य एशिया में चीन (Central Asia , near China) के आसपास से भारत में आये। इन्होने अपने साम्राज्य में मध्य एशिया, ईरान का कुछ भाग, अफ़ग़ानिस्तान के कुछ भाग पाकिस्तान तथा लगभग सम्पूर्ण उतरी भारत ले लिया।
कुजुल कदफिसेस (Kuzul Kudfises)बारात में कुषाण वंश का संस्थापक था। इसके बाद बने राजा वीम कदफिसेस(Vim Kudfises) ने भरी मात्रा में सोने के सिक्के जारी किये जिनकी शुद्धता गुप्तकालीन सिक्कों से उत्तम थी।
72 इसवीं में कनिष्क(Kanishka) कुषाण साम्राज्य का शासक बना। यह कुषाण वंश का सबसे प्रतापी शासक था।
इसने अपने शासनकाल में गांधार, कश्मीर, सिंध(Indus) और पंजाब(Punjab) पर अपना आधिपत्य स्थापित कर दिया।
कनिष्क ने 78 AD में एक सम्वत प्रचलित किया जो शक सम्वत(Shaka samvat) के नाम से जाना जाता है।
कनिष्क के शासन काल में कश्मीर में कुण्डल वन में वसुमित्र(Vasumitra) की अध्यक्षता में चतुर्थ बोध संगती (Fourth Budhist Council )हुई। जिसमे बोध धर्म हीनयान और महायान(Hinyan and Mahayan) दो भागों (Budhism was divided in to to sects)में बंट गया।
इसने अपने राज्य की पहली राजधानी पुरुषपुर (Modern Peshawar)बनाई।
गांधार, मधुरा अदि कला केंद्र (Art Schools)स्थापित हुए।
इसके शासन काल में गौतम बुध की प्रतिमा (Worship of Statue)की पूजा (महायान शाखा द्धारा)प्रारम्भ हुई।
वात्स्यायन(Vatsyayan) द्धारा रचित कामसूत्र इसी समय की है।
निम्नलिखित लोगों को सरंक्षण दिया –
—अश्वघोष जिन्होंने बुद्धचरित(Budhacharita) तथा सूत्रालंकार(Sutralankar) की रचना की।
—नागार्जुन इन्होने माध्यमिक सूत्र (Madhyamika Sutra)की रचना की।
—वसुमित्र (Head of the fourth budhist council )
— चरक (चिकित्स्क थे जिन्होंने सस्रुता (Susruta)की रचना की।
मथुरा में कनिष्क की एक सर-विहीन (Head less statue of Kaniska)खड़ी प्रतिमा मिली है।